Savitribai Phule : जाने देश की पहली महिला टीचर के संघर्ष की कहानी

Savitribai Phule : जाने देश की पहली महिला टीचर के संघर्ष की कहानी

By Arvind Kumar March 10, 2024

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सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई फुले

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव मे हुआ था।

दलित परिवार

उनका जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय दिया जाता है‚ उन्होंने यह उपलब्धि उस समा प्राप्त की जब महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्त करना तो दूर‚ घर से बाहर निकलना भी मुश्किल था।

विवाह और शिक्षा

सावित्रीबाई का विवाह मात्र 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से हो गया था। जब इनकी शादी हुई तो वह अनपढ़ थी। पढाई के प्रति उनकी लगन देखकर ज्योतिराव फुले प्रभावित हुए और उन्होंने सावित्रीबाई को आगे पढ़ाने का फैसला किया।

सावित्रीबाई का जीवन संघर्ष

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका है‚आजादी से पहले भारत मे महिलाओ के साथ बहुत भेदभाव होता था जब सावित्री बाई स्कूल जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे‚ गंदगी‚ गोबर फेकते थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और शिक्षा हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष किया।

एक शिक्षिका

विवाह के समय ज्योतिराव फुले भी कक्षा तीन के छात्र थे‚ लेकिन तमाम सामाजिक बुराइयों की परवाह किए बिना उन्होंने सावित्रीबाई की पढ़ाई में पूरी मदद की। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में शिक्षक प्रशिक्षण लिया और शिक्षिका बन गई।

प्रथम बालिका विद्यालय

5 सितंबर 1848 में पुणे मे अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियो की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ी‚ बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया।

महिला सशक्तिकरण

सावित्रीबाई फुले का जीवन महिला सशक्तिकरण् के लिए समर्पित था‚ उन्होनें असमानता‚ भेदभाव‚ छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों से लड़ने के साथ इनके खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई।

समाज सुधारक

जब देश में जाति व्यवस्था अपने चरम पर थी‚ उन्होंने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया। सावित्रीबाई फुले न केवल एक समाज सुधारक थी‚ बल्कि वह एक दार्शनिक और कवयित्री भी थी। उनकी ज्यादातर कविताएं प्रकृति‚ शिक्षा और जाति व्यवस्था के उन्मूनल पर केंद्रित थी।

अनमोल विचार

1- "शिक्षा, मुक्ति और सशक्तिकरण का मार्ग है। " 2- "प्रगति का असली पैमाना समाज में महिलाओं की स्थिति है।" 3- "ज्ञान‚ प्रकाश का वह स्तंभ है  जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।"

पुण्यतिथि

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन को गया।